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Part 1: Aahvan by Saurabh Kudesia

विचित्र लाशें, रहस्यमय संकेत, मेडीकल रिपोर्ट, कुछ पुराने यंत्र, अधूरी पांडुलिपियाँ, दिल दहलाने वाली हत्याओं का अंतहीन सिलसिला, उन्हें जोड़ने वाली एक साधारण वसीयत, और एक पुरातन सत्य जो इतिहास से सदैव लुप्त रहा। श्रीमंत परिवार के साथ अपने दोस्त रोहन की मौत की जाँच करने में जुटे इंस्पेक्टर जयंत और उसके साथी डॉ. मजूमदार, रोहन की साधारण वसीयत की जड़ें खंगाल रहे थे तो दूसरी तरफ़ नेशनल लैब के डायरेक्टर डॉ. वर्मा अपने अनेक एजेंटों की जान पर भारी पड़ रही अजीब वस्तुओं की गुत्थी में उलझे हुए थे जिसके तार रोहन से जुड़ रहे थे। कौन जानता था कि वह मुमुक्षुओं और चिरंजीवियों के सदियों पुराने उस रक्तरंजित युद्ध में घिरते जा रहे थे जो समाप्त होने पर भी अनवरत जारी था और उस रहस्यमय सत्य का रक्षक था जो सदैव से इतिहास से दूर रहने को शापित था।

 

मूक इतिहास की सदियों पुरानी परतों में दबा सत्य प्रत्यक्ष होने के लिए उचित पात्र की प्रतीक्षा में था। एक साधारण वसीयत से आरंभ श्रीमंत परिवार और इंस्पेक्टर जयंत का सफ़र उस मोड़ पर पहुँच गया जब जीवन से अधिक कुछ और महत्वपूर्ण हो गया। मुमुक्षुओं और चिरंजीवी के टकराव के बीच पिसते श्रीमंत परिवार को रोहन की वसीयत के सत्य को खोजते हुए उस पुरातन वचन की रक्षा करनी थी जिससे पूरी मानवता का भविष्य जुड़ा था।

आह्वान (महाभारत आधारित पौराणिक रहस्य गाथा खंड 1)

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